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विधि
12 लोगस्स का काउसग्ग, 12 साथिया, उसके उपर 12 - फल, नैवेद्य रखना तथा 12- खमासमणा देना।
खमासमण का दुहा :
परम पंच परमेष्ठि मां, परमेश्वर भगवान,
चार निक्षेपे ध्याईए, नमो नमो श्री जिन भाण ॥
काउसग्ग पद :
श्री (जिस प्रभु का कल्याणक हो उन भगवान का नाम बोलना )
कल्याणक ( जो कल्याणक हो वह बोलना ) आराधनार्थ काउसग्गं करूं?
इच्छं, श्री........ . स्वामी....... कल्याणक आराधनार्थ करेमि काउसग्गं, वंदनवत्तियाए, अन्नत्थ- 12 लोगस्स का काउसम्म (सागर वर गंभीरा तक करना ) फिर प्रगट लोगस्स बोलना।
(कल्याणक की आराधना करने वाले भाग्यशाली को दोनों समय प्रतिक्रमण, पडिलेहण, त्रिकाल देववदंन, ब्रम्हचर्य का पालन इत्यादि यथाशक्ति करना चाहिये।)
बीस विहरमान तीर्थकरो के कल्याणको की भी आराधना उपरोक्त वर्तमान चौवीशो के तीर्थंकर प्रभु के कल्याणक विधि अनुसार करनी चाहिए।
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